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सामान्य प्रायिकता वक्र क्या है और इसकी विशेषताएं क्या है? । Normal Probability Curve । NPC

  सामान्य प्रायिकता वक्र क्या है और इसकी विशेषताएं क्या है? । Normal Probability Curve । NPC  अन्य नाम - सामान्य संभाविता वक्र/गासियन वक्र/ प्रसामान्य वक्र किसी घटना के घटित होने का पूर्वानुमान ही संभाविता है और इसके लिए प्रयोग किया जाना वाले वक्र को सामान्य संभाविता वक्र कहते हैं । विशेषताएँ - NPC प्रकृतिक,जैविक या मनोवैज्ञानिक वक्र नहीं है।  NPC एक गणितीय,सैद्धान्तिक,काल्पनिक अवधारणा है। NPC आंकड़ों के सामान्य वितरण का आवृत्ति बहुभुज है। इसका आकार घंटाकार होता है। इसके मध्य में सबसे अधिक आंकड़े तथा किनारों पर सबसे कम आंकड़े पाये जाते हैं। ये सममित(Symmetrical) होता है। अर्थात इसका बायाँ और दायाँ भाग बराबर होता है। इसमें विषमता/ वैषम्य शून्य होती है। इसमें Mean, Median, Mode तीनों एक ही बिन्दु पर स्थिति होते हैं अथवा एक ही होते हैं। ये अनंतस्पर्शी(Asymptotic )होता हैअर्थात NPC कभी भी आधार रेखा (X अक्ष)को स्पर्श नहीं करता है। NPC सतत(Continuous) होता है, जिससे X अक्ष पर चर के मान की संख्या अनंत होती है। NPC के मध्य में खड़ी रेखा को भुजमान(Ordinate) कहते है, जो Mean पर अधिक...

सामाजिक अधिगम सिद्धान्त । बंडूरा अधिगम सिद्धांत । Bandura social Learning Theory

 सामाजिक अधिगम सिद्धान्त । बंडूरा अधिगम सिद्धांत । Bandura social Learning Theory  अन्य नाम- Observational learning theory / अप्रत्यक्षात्मक अधिगम(Vicarious learning) प्रवर्तक- Albert Bandura (American) इन्हे सामाजिक मनोवैज्ञानिक भी कहा जाता है ।  सिद्धांत का केन्द्रीय बिन्दु - व्यक्ति/प्राणी अवलोकन द्वारा सीखता है। मुख्य बिन्दु -  सीखने के लिए प्रत्येक प्राणी दूसरे प्राणी की नकल या अवलोकन करता है। कोई भी प्राणी यंत्र के समान अनुक्रिया नहीं करता है बल्कि अपने अनुभवों व अंतर्दृष्टि की सहायता से मौजूद विकल्पों में से किसी एक विकल्प को चुनता है।  प्राणी अपने आस-पास के वातावरण का अवलोकन करता है और उससे ही सीखता है।  अवलोकनात्मक अधिगम के अप्रत्यक्ष रूप से होने के कारण इसे अप्रत्यक्षात्मक अधिगम(Vicarious learning)भी कहा जाता है।  प्रत्यक्ष अवलोकन की अपेक्षा अप्रत्यक्ष अवलोकन अधिक प्रभावी होता है अर्थात जो कुछ हम दूसरों को देखकर,सुनकर व समझकर सीखते हैं वह अधिक प्रभावी होता है।  व्यक्ति जिन व्यक्तियों का अनुकरण करता है उन्हे निदर्श (Model) कहते हैं।...

गैने का अधिगम सिद्धान्त । अधिगम सोपानिकी । gagne's hierarchy of learning

  गैने का अधिगम सिद्धान्त । अधिगम सोपानिकी । Gagne's hierarchy of learning प्रवर्तक - RM गैने(RM Gagne)  गैने ने सीखने को 8 वर्गों में विभाजित किया और उन्हे एक अधिगम सोपानिकी (hierarchy) के रूप में प्रस्तुत किया इस सोपानिकी के आठों वर्गों में एक अंतर्निहित क्रम दिखाई देता है जिसमें प्रत्येक अगला क्रम पिछले क्रम से जटिल या उच्चतर होता जाता है, जो इसप्रकार हैं - 1- संकेत अधिगम (Signal Learning) 2- उद्दीपक-अनुक्रिया अधिगम(Stimulus-Response Learning) 3-शृंखला अधिगम(Chain-Learning) 4-शाब्दिक अधिगम(Verbal Learning) 5-बहु विभेदन अधिगम(Multiple Discrimination Learning) 6-प्रत्यय अधिगम(Concept Learning) 7-सिद्धान्त अधिगम(Principle Learning) 8-समस्या समाधान अधिगम(Problem solving Learning) गैने का अधिगम सिद्धान्त । अधिगम सोपानिकी ।Gagne's hierarchy of learning का अब  विस्तार पूर्वक वर्णन - 1- संकेत अधिगम (Signal Learning)- इसे शास्त्रीय अनुबंधन भी कहा जाता है ।क्योंकि इसमें स्वाभाविक उद्दीपक की अनुक्रिया के साथ कोई अन्य उद्दीपक अनुकूलित हो जाता है। इसमें यांत्रिक ढंग से आदतों का नि...

F परीक्षण से आप क्या समझते हैं? / what is F Test in hindi । f test formula

  F परीक्षण से आप क्या समझते हैं? / what is F Test in hindi ।  f test formula अन्य नाम - F - Test / F Ratio / ANOVA (Analysis Of Variance)  F Test प्रत्यय दिया- GW Snedecor  (Student of RA Fisher) ने।  यह एक Parametric Test है।  इसमें आंकड़ों को Score के रूप में प्रस्तुत करते हैं    F परीक्षण से आप क्या समझते हैं?  इसके द्वारा दो या दो से अधिक समूहों के माध्यों के अंतर की सार्थकता की जांच की जाती है।  यदि दो से अधिक समूहों के माध्यों के अंतर की सार्थकता की जाँच T test द्वारा करते हैं तो 10 T test लगाने पड़ेंगे जिससे समय अधिक लगेगा अतः इसकी जगह F Test का प्रयोग करते हैं।  F test या ANOVA को स्वतंत्र चर के आधार पर दो भागों में गया है -  A - Simple analysis of variance (One Way ANOVA)-  जब केवल एक स्वतंत्र चर ।  इसमें न्यादर्श(Sample)का चयन Randomly किया जाता है। इसमें स्वतंत्र चरोंकी संख्या 1 होती है। इसमें दो प्रकार का प्रसरण होता है, जिसके आधार पर इसे दो प्रकारों में बांटा गया है -   1-बाह्य प्रसरण(Betwee...

कर्ट लेविन का सीखने का क्षेत्र सिद्धान्त - सरल व्याख्या -Lewin Field Theory of Learning

  कर्ट लेविन का सीखने का क्षेत्र सिद्धान्त - सरल व्याख्या -Lewin Field Theory of Learning  अन्य नाम -संज्ञानात्मक  क्षेत्र सिद्धान्त /टोपोलोजिकल मनोविज्ञान /वेक्टर सिद्धान्त / Life space सिद्धान्त  इस सिद्धान्त में प्रयोग किए गए प्रमुख प्रत्यय-  1- क्षेत्र-   प्राणी + वातावरण( अपेक्षाओं का मनोवैज्ञानिक वातावरण प्राणी तथा वातावरण एक - दूसरे से अंतर्क्रिया करते हैं , इसमें प्राणी के  कुछ आंतरिक बल व आवश्यकताएँ होती हैं तथा वातवारण के अपने कुछ दबाव , खिचाव व मांग होती है।     2- जीवन स्पेस = वह परिधि जिसमें प्राणी मनोवैज्ञानिक व वास्तविक रूप से रहता है , सम्पूर्ण मनोवैज्ञानिक वस्तविकताए जिसमें उसके अपने विचार , अनुभव, व्यक्ति ,वस्तुएं , प्रत्यक्षण , दृष्टिकोण , मान्यताएँ , मूल्य, दवाबों आदि रहते हैं। ( प्रत्यक्षण + क्रियाएँ )  3- वेक्टर = किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्राणी अपने जीवन स्पेस में उपस्थिति क्षमताओं का उपयोग ।  4- व्यक्ति = जीवन स्पेस में उपस्थित व्यक्ति की संपूर्णता( Mind + Body + Behavior+ I , Me , My आदि शब्...

Learning Theory of Guthrie-गुथरी का सीखने का सिद्धान्त-UGC NET

  Learning Theory of Guthrie -contiguous Conditioning theory - गुथरी का सीखने का सिद्धान्त अन्य नाम - समीपता अनुबंध सिद्धांत , S R Contiguous Conditioning Theory, उद्दीपक-अनुक्रिया समीपता सिद्धांत   प्रवर्तक - एडविन रे गुथरी ( अमेरिकी मनोवैज्ञानिक )  गुथरी - थोर्नडाइक व पावलव दोनों के विचारों से प्रभावित थे ।  गुथरी ने पावलव के शास्त्रीय अनुबंधन सिद्धांत तथा अपने विचार सामयिक समीपता ( Temporal Contiguity) को मिलकर समीपता अनुबंध सिद्धांत दिया - शास्त्रीय अनुबंध सिद्धांत(पावलव) + सामयिकता समीपता विचार(गुथरी) = समीपता अनुबंध सिद्धांत गुथरी के अनुसार उद्दीपक अनुक्रिया के बीच का अनुबंध पुनर्बलन द्वारा स्थापित नहीं होता है।  बल्कि उद्दीपक अनुक्रिया के बीच का अनुबंध समीपता के आधार पर स्थापित होता है। इस सिद्धांत का प्रयोग गुथरी ने अपने सहयोगी जे पी होर्टन के साथ मिलकर बिल्लियों पर किया।  गुथरी - होर्टन प्रयोग- प्रयोग की सामग्री -  A- एक शीशे का बना हुआ पहेली बक्सा- जिसके बीच में एक छड़ीनुमा लीवर या pole लगा था, इस लीवर से बिल्ली के किसी भी अंग के छूने पर ...

T test - T ratio की सरल व्याख्या

  T test - T ratio की सरल व्याख्या  अन्य नाम - tअनुपात, Student-t  ये एक Parametric टेस्ट है  इसकी व्याख्या W S Gasset ने 1908 में की थी और बाद में इसे R A Fisher ने इसे विकसित किया।  इसका उपयोग दो माध्यों ( mean ) के बीच अंतर की सार्थकता जाँचने के लिए किया जाता है।       (It is used to know the  significance of difference between two means ) इसके अतिरिक्त इसका उपयोग Pearson - r , Point-biserial -r , Rank difference आदि की सार्थकता जाँचने में किया जाता है ।  T test = दो माध्यों का अंतर तथा इस अंतर की मानक त्रुटि(Standard Error)  का अनुपात( Ratio) होता है  सूत्र (Formula)           _      _                                 X1 - X2                        T = --------------                    ...