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कर्ट लेविन का सीखने का क्षेत्र सिद्धान्त - सरल व्याख्या -Lewin Field Theory of Learning

 कर्ट लेविन का सीखने का क्षेत्र सिद्धान्त - सरल व्याख्या -Lewin Field Theory of Learning 

अन्य नाम -संज्ञानात्मक  क्षेत्र सिद्धान्त /टोपोलोजिकल मनोविज्ञान /वेक्टर सिद्धान्त / Life space सिद्धान्त 

इस सिद्धान्त में प्रयोग किए गए प्रमुख प्रत्यय- 

1- क्षेत्र-  प्राणी + वातावरण( अपेक्षाओं का मनोवैज्ञानिक वातावरण प्राणी तथा वातावरण एक - दूसरे से अंतर्क्रिया करते हैं , इसमें प्राणी के  कुछ आंतरिक बल व आवश्यकताएँ होती हैं तथा वातवारण के अपने कुछ दबाव , खिचाव व मांग होती है।    

2- जीवन स्पेस = वह परिधि जिसमें प्राणी मनोवैज्ञानिक व वास्तविक रूप से रहता है , सम्पूर्ण मनोवैज्ञानिक वस्तविकताए जिसमें उसके अपने विचार , अनुभव, व्यक्ति ,वस्तुएं , प्रत्यक्षण , दृष्टिकोण , मान्यताएँ , मूल्य, दवाबों आदि रहते हैं। ( प्रत्यक्षण + क्रियाएँ ) 

3- वेक्टर= किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्राणी अपने जीवन स्पेस में उपस्थिति क्षमताओं का उपयोग । 

4- व्यक्ति = जीवन स्पेस में उपस्थित व्यक्ति की संपूर्णता( Mind + Body + Behavior+ I , Me , My आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है तथा जीवन स्पेस के दवाबों से प्रभावित होकर उद्देश्यों की प्राप्ति करता है ) 

5- मनोवैज्ञानिक वातावरण= व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक स्थिति  

6- वैलेंस= विभिन्न क्षेत्रों की आकर्षण तथा विकर्षण शक्तियाँ इन्हे दो प्रकार का बताया गया है धनात्मक तथा ऋणात्मक वैलेंस , व्यक्ति धनात्मक वैलेंस वाली वस्तु पाना चाहता है तथा ऋणात्मक वैलेंस वाली वस्तु से दूर रहना चाहता है।

7- टोपोलोजी = जीवन स्पेस की संरचना को प्रदर्शित करने के लिए 

लेविन क्षेत्र सिद्धान्त अपने आप में कोई पूर्ण सिद्धान्त न होकर प्राणी द्वारा अपने अप को तथा अपने जगत को समझने के प्रयासों का वर्णन करता है । 

इस सिद्धान्त के अनुसार व्यक्ति के जीवन स्पेस (व्यक्ति के संसार)का परिमार्जन ही अधिगम है।

इस सिद्धान्त में प्रत्यक्षण(perception) की भूमिका मुख्य होती है । 

अधिगम = सूझयुक्त प्रत्यक्षीकरण संगठन(Perceptual Organization) या जीवन स्पेस के पुनर्गठन के रूप में स्पष्ट किया है।

अधिगम एक ऐसी अंतर्क्रियात्मक प्रक्रिया (Interactive Process) है जिसके द्वारा प्राणी या तो नयी सूझ/संज्ञानात्मक संरचनाएं प्राप्त करता है या पुरानी सूझ /संज्ञानात्मक संरचनाओं में परिवर्तन लाता है ।

अधिगम के फलस्वरूप प्राणी केजीवन में विभेदकता आती है । अतः संज्ञानात्मक संरचना में वांछित परिवर्तन लाना ही अधिगम है । 

शैक्षिक उपयोगिता - लेविन क्षेत्र सिद्धान्त सीखने  में अभिप्रेरणा पर सर्वाधिक महत्व दिया गया है अतः छात्रों में अभिप्रेरणा को उत्पन्न में ध्यान दिया जाना चाहिए। 

पुरस्कार व दंड सावधानी से दिया जाए । 

किसी कार्य में सफलता अथवा असफलता प्राणी के अहम समावेशन ,आकांक्षा स्तर और मनोवैज्ञानिक संतुष्टि  पर निर्भर करती है । 

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