सामान्य प्रायिकता वक्र क्या है और इसकी विशेषताएं क्या है? । Normal Probability Curve । NPC
अन्य नाम - सामान्य संभाविता वक्र/गासियन वक्र/ प्रसामान्य वक्र
किसी घटना के घटित होने का पूर्वानुमान ही संभाविता है और इसके लिए प्रयोग किया जाना वाले वक्र को सामान्य संभाविता वक्र कहते हैं ।
विशेषताएँ -
- NPC प्रकृतिक,जैविक या मनोवैज्ञानिक वक्र नहीं है।
- NPC एक गणितीय,सैद्धान्तिक,काल्पनिक अवधारणा है।
- NPC आंकड़ों के सामान्य वितरण का आवृत्ति बहुभुज है।
- इसका आकार घंटाकार होता है।
- इसके मध्य में सबसे अधिक आंकड़े तथा किनारों पर सबसे कम आंकड़े पाये जाते हैं।
- ये सममित(Symmetrical) होता है। अर्थात इसका बायाँ और दायाँ भाग बराबर होता है।
- इसमें विषमता/ वैषम्य शून्य होती है।
- इसमें Mean, Median, Mode तीनों एक ही बिन्दु पर स्थिति होते हैं अथवा एक ही होते हैं।
- ये अनंतस्पर्शी(Asymptotic)होता हैअर्थात NPC कभी भी आधार रेखा (X अक्ष)को स्पर्श नहीं करता है।
- NPC सतत(Continuous)होता है, जिससे X अक्ष पर चर के मान की संख्या अनंत होती है।
- NPC के मध्य में खड़ी रेखा को भुजमान(Ordinate) कहते है, जो Mean पर अधिकतम होता है।
- भुजमान = .3989 होता है।
- NPCका मध्य का आकार उत्तल होता है जो नीचे आने पर अवतल हो जाता है। जिस बिन्दु से NPC उत्तल से अवतल आकृति में बदलना शुरू होता है,उसे Inflection Point कहते हैं।
- NPC का Inflection Point +1sigma और -1 sigma पर होता है और यहीं पर NPC उत्तल से अवतल में बदल जाता है।
- NPC के कुल क्षेत्र के माध्य की अलग-अलग स्थिति % में इस प्रकार है।
+2 sigma से -2 sigma तक =95.44%
+3 sigma से -3 sigma तक = 99.73%
+4 sigma से -4 sigma तक = 99.97%
ध्यान दें - NPC के किसी एक सिरे की तरफ का क्षेत्रफल दिये गए कुल क्षेत्रफल का आधा हो जाएगा।
जैसे - +1 sigma से -1sigma तक कुल क्षेत्रफल = 68.26% लेकिन केवल -1 sigma या केवल +1sigma का क्षेत्रफल +34.13% या -34.13% (68.26%का आधा) होगा।
उपयोग -
- NPC के द्वारा समस्याओं के समाधान हेतु सर्वप्रथम मूल प्राप्तांकों को Z Score या सिग्मा मान में बदलना आवश्यक होता है।
- Z Score का मान धनात्मक या ऋणात्मक हो सकता है।
- वर्तमान की व्यावहारिक परिस्थितियों में हम उपलब्ध सारणी द्वारा NPC ज्ञात कर लेते हैं।
- NPC का प्रयोग ये जानने के लिए करते हैं कि अंक वितरण में दो score के बीच में कितने % आंकड़े आए हैं।
- किसी समूह में औसत(मध्यमान)से कम या अधिक अंक पाने वाले छात्रों की संख्या ज्ञात करने के लिए।
- किसी समूह में दिये गए गए दो प्राप्तांकों के मध्य अंक प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या ज्ञात करने के लिए
- किसी समूह में विशेष स्थिति वाले छात्रों की प्राप्तांक सीमाएं ज्ञात करने के लिए।
- किसी परीक्षण के विभिन्न प्रश्नों का कठिनाई स्तर ज्ञात करने के लिए।
- किसी समूह को एसे उपसमूहों में विभाजित करने के लिए की प्रत्येक उपसमूह में योग्यता का प्रसार(Range of ability) बराबर रहे।
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