Types of research with examples in hindi-शोध के प्रकार
शोध एक व्यापक व अन्तः विषय (Inter disciplinary) विषय है ।
शोध के विभिन्न प्रकारों के बीच काफी परस्परव्यापकता (overlapping) है ।
अनुसंधान के विभिन्न प्रकारों का निम्न 6 आधारों पर वर्गीकरण किया जा सकता है -
(संक्षेप में / In Short)
A परिणाम के आधार पर (On the basis of Output)-
1- मौलिक / प्राथमिक / आधारभूत/ शुद्ध शोध /fundamental / Primary / Basic/ Pure Research -
2- व्यावहारिक / प्रयुक्त शोध /Applied Research
3- क्रियात्मक शोध / Action Research
B उद्देश्यों के आधार पर -(On the basis of Objectives)
1- वर्णनात्मक / Descriptive शोध
इसके निम्न प्रकार होते हैं -
I - घटनोत्तर / Ex - post Facto Research
II - एतिहासिक / Historical Research
III -विश्लेषणात्मक / Analytical Research
2- सहसंबंध शोध / Correlation Research
3- व्याख्यात्मक / Explanatory Research
4- अनुसंधान मूलक / समन्वेशी / Exploratory Research
5- प्रयोगिक / प्रयोगात्मक / Experimental Research
C -तर्क के आधार पर / On the basis of Logic -
1- आगमनत्मक / Inductive Research
2- निगमनात्मक / Deductive Research
D - प्रक्रिया के आधार पर / On the basis of process
1- मात्रात्मक / Quantitative Research
2- गुणात्मक / Qualitative Research - इसके निम्न प्रकार होते हैं -
I - समूह केन्द्रित / Focus Group Research
II - प्रत्यक्ष अवलोकन /Direct Observation Research
III -गहन साक्षात्कार / In-depth Interview Research
IV -कथात्मक अनुसंधान / Narrative Research
V - घटनाजन्य / Phenomenological Research
VI - नृजातीय या जातिवृत्ति अनुसंधान / Ethnography Research
VII - व्यक्तिगत अध्ययन / अनुसंधान / Case Study Research
VIII - प्रदत्त आधारित सिद्धांत / Grounded Theory
3- मिश्रित / Mixed Research
E - जाँच के आधार पर / On the basis of Investigation-
1- संरचित / Structured Approach
2- असंरचित / Unstructured Approach
F - अवधारणा के आधार पर / On the basis of Concept -
1- वैचारिक / Conceptual Research
2- अनुभव सिद्ध / Empirical Research
विस्तृत वर्णन -
A परिणाम के आधार पर (On the basis of Output)-
1- मौलिक / प्राथमिक / आधारभूत/ शुद्ध शोध (fundamental / Primary / Basic/ Pure Research) -
इस शोध का मुख्य उद्देश्य किसी एक क्षेत्र में सिद्धान्त विकिसित करना होता है, ये शोध किसी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए नहीं किए जाते हैं ।
इसका मूलतः उद्देश्य वर्तमान ज्ञान में वृद्धि करना होता है ।
इसमें खोज या आविष्कार होते हैं यह मुख्य रूप से शैक्षणिक होता है ।
इसका क्षेत्र विस्तृत ( Broader) होता है ।
2- व्यावहारिक / प्रयुक्त शोध ( Applied Research )-
- इसका उद्देश्य व्यावहारिक समस्याओं का समाधान करना होता है ।
- इसका प्रयोग वास्तविक/ विशिष्ट व्यवहारिक समस्याओं के समाधान में किया जाता है
- इसका क्षेत्र गहन ( Deep ) होता है ।
- कुर्ट लेविन ने सबसे पहले Action Research शब्द का प्रयोग किया था ।
- इसका प्रयोग किसी तत्काल समस्या के समाधान के लिए किया जाता है ।
- इसमें यदि किसी समस्या का समाधान प्रगति में है तो उसकी प्रगति की जांच भी की जाती है
- इसमें किसी समस्या के समाधान में उपयोग की रही प्रक्रियाओं में भी सुधार / संशोधन किया जात है।
- इसका शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है
- इसमें सदैव सुधार की गुंजाइस रहती है
- इसका प्रयोग - छात्रों को प्रेरित करने में , शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाने में , मूल्यांकन प्रक्रिया को प्रभावी बनाने में , पाठ्यचर्या सुधार में , संस्था प्रशासन में एवं तात्कालिक सामाजिक समस्याओं के समाधान में किया जाता है ।
वर्णनात्मक शोध / Observation Research -
- ये स्थिति का वर्णन करता है
- ये क्या है , क्या था पर आधारित प्रश्नो का उत्तर देने का प्रयास करता है
- ये रिपोर्टिंग से समानता रखता है
- इसमें मुख्य रूप से सर्वे विधि का प्रयोग किया जाता है
- इसमें शोध कर्ता का चरों पर कोई नियंत्रण नहीं होता है
- न ही चरों के साथ हेर फेर किया जाता है
- ये वास्तविक परिस्थितियों मे ही पूर्ण किया जाता है
- इसमें तथ्यों की खोज भी की जाती है
- ये वर्णनात्मक , आनुभविक तथा Non Experimental शोध है
- ये किसी घटना के लिए प्रयोग किया जाता है
- ये घटना के स्वतंत्र चर से संबन्धित होता है
- इसमें घटना / प्रभाव / व्यवहार / परिणाम के आधार पर कारणों की खोज की जाती है
- इसका प्रयोग घटना घट चुकने के बाद किया जाता है
- इसमे प्रभाव - कारण संबंध होता है
- प्रभाव -आश्रित चर होता है
- कारण( पूर्व में घट चुकी घटनाएँ ) - स्वतंत्र चर होता है
- इसमें स्वतंत्र चर में किसी तरह का कोई जोड़- तोड़ नहीं क्या जाता है ।
- क्योकि इसमें स्वतंत्र चर की घोषणा शोध प्रारम्भ होने से बहुत पहले हो चुकी होती है
- इसमें Randomisation का प्रयोग नही किया जा सकता
- इसमें Post hoc fallacy पायी जाती है
- Post hoc fallacy - जब शोध कर्ता स्वतंत्र चर व आश्रित चर के बीच के संबंध की उचित व्याख्या नहीं कर पाता और घटना में वह एक को कारण और दूसरे को प्रभाव केवल इसलिए मन लेता है क्योकि दोनों हमेशा साथ साथ होते पाये जाते हैं ।
- ये वर्णनात्मक , आनुभविक तथा Non Experimental शोध है
- इसमें भूतकालीन घटनाओं का विश्लेषण करके आज की समस्याओं का समाधान ढूंढा जाता है
- ये किसी विषय के एतिहासिक पहलू पर ध्यान केन्द्रित करता है
- इसमें पहले से घाटी घटनाओं का अध्ययन लिखित रेकॉर्ड के आधार पर किया जाता है
- उपलब्ध समग्र ( population ) का आलोचनात्मक मूल्यांकन किया जाता है
- एकस्थिति के दो पहलुओं के बीच संबंध एवं परस्पर निर्भरता का पता चलता है
- इसमें दो या दो से अधिक चर एक साथ तो होते हैं लेकिन आवश्यक नहीं कि वह एक दूसरे के लिए हैं
- इसमें एक निश्चित परिस्थित में प्रमुख कारकों की पहचान की जाती है
- ये Non Experimental है ।
- इसमें एक स्थिति या घटना के दो पहलुओं के बीच कैसे और क्यों जैसे सवालों का जबाब देने कि कोशिश की जाती है
- इसे किसी शोध के प्रारम्भ मे किया जाता है
- इसे मुख्य अनुसंधान का लघु रूप भी कहा जा सकता है
- इसमें यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि चरो के बीच कैसा संबंध है और तथ्य इकट्ठे किए जाते हैं फिर नयी परिकल्पना बनाई जाती है
- छोटे पैमाने पर अध्ययन से शोध की व्यावहारिकता का पता चल जाता है कि विस्तृत शोध के योग्य है या नही
- यह एक स्थिति या घटना के दो या अधिक पहलुओं के बीच के संबंध को स्पष्ट करने का प्रयास करता है
- इसका मुख्य उद्देश्य घटना के Background की जानकारी प्राप्त करना , तथ्यों को परिभाषित करना , समस्याओं को स्पष्ट करना , परिकल्पना विकिसित करना तथा अनुसंधान प्राथमिकताओं व उद्देश्यों की स्थापना करना होता है ।
- इसमें Secondary Data , इंटरव्यू, Projective , तथा डेल्फ़ी तकनीकी का प्रयोग किया जाता है
- इसमें चारों के बार मे कोई भविष्यवाणी नहीं की जाती है
- इस शोध के परिणाम से शोध करता को चरों के बीच सम्बन्धों का तो पता चल जाता है लेकिन कोई सबूत नहीं मिलता
- इसमें शोध कर्ता कारण - प्रभाव सम्बन्धों की व्याख्या करता है ।
- इसमें स्वतंत्र चर कारण तथा आश्रित चर प्रभाव के साथ संबन्धित होता है
- इसमें शोध कर्ता नियंत्रित परिस्थिति में चरों में जोड़- तोड़ करता है तथा उसका आश्रित चर पर प्रभाव का अध्ययन करता है
- इसमें Randomization का प्रयोग डाटा collection में किया जाता है
- परिकल्पना का निर्धारण पहले होता है
- सिद्धान्त भी पहले से ही निर्धारित होते हैं
- ये शोध आंकड़ों पर आधारित होता है
- ये पक्षपात रहित होता है
- ये घटना - परिणाम / प्रभाव के बीच सम्बन्धों पर केन्द्रित होता है
- इसमें समस्त डाटा संख्यात्मक रूप में होता है
- ये अनुसंधान का आगमनात्मक रूप माना जाता है
- इसके अनुसार मानव व्यवहार को गणित के सूत्रों में नहीं बांधा जा सकता
- इसका मुख्य उद्देश्य मानव व्यवहर और उसे नियंत्रित करने वाले कारणों को गहराई से समझना होता है ।
- इसमें चरों का विश्लेषण उनके गुणों के आधार पर होता है
- इस विधि से क्या ? कहाँ ? कब ? क्यों ? और कैसे? इस तरहके सभी प्रश्नो की जांच की जाती है ।
- इसमें बड़े Sample की जगह छोटे Sample को ज्यादा उपयोगी माना गया है
- ये निर्देशन से कार्य करता है
- इसमें समान्यतः Hypothesis का प्रयोग नहीं किया जाता है लेकिन इसका विकल्प खुला रहता है ।
- ये व्यक्तिगत अनुभवों के विश्लेषण पर ज़ोर देता है
- यह कारण का विश्लेषण और सत्यापन करता है ।
- इसमें शोध कर्ता एक साथ कुछ व्यक्तियों के समूह को किसी विषय पर चर्चा के लिए एकत्रित करता है
- समूह में सदस्यों की संख्या कम रखी जाती है।
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