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What is research data tools? in hindi - data collection tools -UGC NET । शोध में आँकड़े संग्रह की विधियाँ

 शोध समस्याओं का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन करने के लिए और उससे संबन्धित आंकड़े इकट्ठे करने के लिए एक प्रश्न उठता है कि शोध में आंकड़ें एकत्र करने के लिए कौन-कौन सी विधियाँ हैं ? What is research data tools?  इसकी प्रमुख  विधियां इस प्रकार हैं -

संक्षेप में / In Short -

1- प्रेक्षण विधि Observation Method 

2- रेटिंग मापनी Rating Scale 

3- प्रश्नावली अनुसूची Questionnaire and Schedule 

4-  साक्षात्कार Interview 

5- केस अध्ययन विधि / Case Study Method 

6- विषय विश्लेषण Content Analysis 

7- समाजमितिक विधि Sociometrical method 

8-प्रक्षेपीय विधि / Projective method 

9-अर्थगत विभेदक मापनी / Semantic Differential Scale 

10- क्यू सार्ट विधि Q- Sort method 

विस्तार पूर्वक वर्णन / In Detail- 

1- प्रेक्षण विधि / Observation Method - 

इस विधि में शोधकर्ता  व्यक्ति के व्यवहार / घटनाओं के दृश्य और श्रव्य पक्षों क्रमबद्ध ढंग से देख , सुनकर उसका रिकार्ड तैयार करता है।   इसमें शोध कर्ता ये देखता है कि लोग क्या कर रहे हैं  ? और क्या कह रहे हैं  ? इन सभी बातों का वह रिकार्ड तैयार कर लेता है,जिसका बाद में वह संख्याकीय विश्लेषण करके एक निष्कर्ष निकालता है।    प्रेक्षण में प्राणी के व्यवहार का - selection - stimulation - recording - coding की जाती है 

  • इसमें प्राणी व्यवहार का अध्ययन विशिष्ट / स्वाभाविक वातावरण में किया जाता है । 
  • प्रेक्षण करते समय प्रेक्षण कर्ता कभी कभी यंत्रो का भी सहारा लेता है । 
प्रेक्षण विधि के प्रकार -

 A - नियंत्रित प्रेक्षण  B - अनियंत्रित प्रेक्षण  C - सहभागी प्रेक्षण D - असहभागी प्रेक्षण  E - वर्गीकरण  

A - नियंत्रित प्रेक्षण / Controlled observation / systematic observation   -

  • इसमें एक निश्चित व स्पष्ट नियम के अनुसार प्रेक्षण किया जाता है । 
  • इसकी नियमावली  वैज्ञानिक एवं तार्किक होती है । 
  • इसे systematic observation  भी कहते है । 
  • ये वैज्ञानिक व वस्तुनिष्ठ होता है । 
  • इसे पूर्व योजना बनाकर पूरा किया जाता  है । 
  • इसका उद्देश्य वस्तुनिष्ठ , वैध व विश्वसनीय आंकड़ों  को एकत्र करना होता है । 
  • इसका उपयोग - शिक्षा , मनोविज्ञान समाजशास्त्र आदि विषयों में अधिक होता है । 
B - अनियंत्रित प्रेक्षण / Uncontrolled observation / Unsystematic observation -
  • इसमें एक निश्चित व स्पष्ट नियम के अनुसार प्रेक्षण नहीं किया जाता है । 
  • इसकी नियमावली  वैज्ञानिक एवं तार्किक नहीं होती है । 
  • इसे unsystematic observation / naturalistic observation   भी कहते है । 
  • ये वैज्ञानिक व वस्तुनिष्ठ नहीं होता है । 
  • इसे पूर्व योजना बनाकर पूरा नहीं किया जाता  है । 
  • इसका उद्देश्य मात्र आंकडों को एकत्र करना होता है । 
  • इसका उपयोग - समाज शास्त्र व मानव शास्त्र  आदि विषयों में अधिक होता है । 
C - सहभागी प्रेक्षण / Participant Observation 
  • इसमें व्यक्ति जिस समूह का प्रेक्षण करना होता है उसमें अपनी पहचान छुपाकर स्वयं शामिल होकर उनके क्रिया कलाप में हाथ बँटाता है और उनका निरीक्षण भी  करता है । 
  • इसका उद्देश्य वस्तुनिष्ठ प्रेक्षण करना  होता है। 
  • इसमें व्यक्ति किसी समूह का पूर्ण कालिक या अंशकालिक सदस्य बनकर भी आंकड़े जूता सकता है । 
  •   इसके परिणाम अपेक्षाकृत विश्वसनीय होते हैं 
  • इसमें  परिस्थिति स्वाभाविक होती है 
  • ये संगठित या असंगठित/ structured / unstructured  होता है । 
D - असहभागी प्रेक्षण /   Non-Participant Observation-
  • इसमें व्यक्ति जिस समूह का प्रेक्षण करना होता है स्वयं शामिल नहीं होता है लेकिन उनके साथ बैठकर ही निरीक्षण करता है ।  
  •  उनके क्रिया कलाप में हाथ नहीं बँटाता है और लेकिन उनका निरीक्षण करता है । 
  • इसका उद्देश्य मात्र प्रेक्षण करना  होता है। 
  • इसमें व्यक्ति किसी समूह का पूर्ण कालिक या अंशकालिक सदस्य बनकर भी आंकड़े जूता सकता है । 
  •   इसके परिणाम अपेक्षाकृत विश्वसनीय होते हैं 
  • इसमें  परिस्थिति स्वाभाविक होती है 
  • ये संगठित या संचरित structured  होता है । 
E - वर्गीकरण व्यवस्था / Category System - 
  • इसमें प्रेक्षण कर्ता व्यक्तियों के व्यवहारों को विभिन्न वर्गों में बांटता है और उसका रिकॉर्ड करता है । 
  • वर्गिकरण शोध समस्या की प्रकृति पर निर्भर करती है 
  • इस विधि इकट्ठे किए गए आंकड़े अधिक विश्वसनीय होते हैं। 
2-  रेटिंग मापनी Rating Scale - 
इसमें प्रेक्षक किसी वस्तु व्यक्ति या घटना को एक दिये गए वेर्ग मापनी में मापता है । 
प्रकार / types of rating scale - 
Rating Scale के मुख्य 6 प्रकार होते हैं - 
A - आंकिक मापनी / Numerical Scale 
B - आकृतिक मापनी / Graphic Scale 
C- प्रतिशत मापनी / Percentage Scale 
D - मानक मापनी / Standard Scale 
E -संचित मापनी / Scale of Cumulative Points 
F - बाध्य चयन मापनी / Forced choice scale 

A -आंकिक मापनी / Numerical Scale -
 
इसमें प्रेक्षक वस्तुओं या व्यक्तियों को अपने अनुभव के आधार पर दिये गए निर्देशों के अनुसार अंक प्रदान करता है जैसे -
अत्यधिक असहमत  1  अथवा -2
असहमत                 2  अथवा -1
तटस्थ                      3  अथवा 0 
सहमत                    4   अथवा +1 
अत्यधिक सहमत     5  अथवा +2 

बहुत भारी 
भारी 
सामान्य 
हल्का 
बहुत हल्का 

नोट - Numerical Scale को Rank Order के  competitor के रूप में जाना जाता है । 

B - आकृतिक मापनी / Graphic Scale -
  • ये सर्वाधिक लोकप्रिय मापनी है ।
  • इसमें  रेखा ग्राफ का प्रयोग किया जाता  है
  • इसमें कोई संख्यात्मक मान  नहीं होता है 
  • ये प्रकार की होती है खड़ी रेखा (Vertical lines ) व पड़ी रेखा ( Horizontal line )
 उदाहरण - राम बच्चों को पढ़ाते हैं- 
अत्याधिक तेजी से  - थोड़ा तेजी से - धीमी गति से - सुस्ती से - अत्यधिक धीमी गति से 

C - प्रतिशत मापनी (Percentage rating ) - 
  • ये अपरिपक्व रेटिंग ( Crude Scale ) मापनी है । 
  • इसमें प्रेक्षक पहले से तैयार किए गए विभिन्न प्रतिशत समूहों ( percentage group ) या Percentile Group में व्यक्तियों को रख कर rating  करता है । 
D मानक मापनी / Standard Scale -  
  • इसमें पहले से कुछ मानक (Standard) प्राप्त होते हैं । 
  • इसकी Scale Value पहले से निर्धारित रहता है 
  • यहाँ वस्तुओं का मिलान rating से किया जाता है 
  • ये मानक प्रत्येक क्षेत्र में निर्धारित किए जाते हैं 
ये दो प्रकार की होती हैं - I -Man to Man scale ( सर्वप्रथम इसका विकास World War I में हुआ था )
 II - Portrait - matching Scale 

 E -संचित मापनी / Scale of Cumulative Points -
  • इसमें observer व्यक्तियों Scale  के सभी एकांशों (items) पर rate करता है और बाद उन सभी ratings को जोड़ लेता है इसी को Total score कहते हैं 
  • इसके दो मुख्य प्रकार बताए  गए हैं -I -Check List Method, II - Guess - who technique  
I -Check List Method- 
उदाहरण -राम एक ऐसा लड़का है जो है -
बना - ठना (smart) +1
बुद्धिमान (Intelligent) +1
प्रसन्न (happy) +1
चुप-चाप (silent) -1
Total Score = +2

 II - Guess - who technique- 
उदाहरण - राम एक ऐसा लड़का है जो रहता  है -
एक ऐसा व्यक्ति जो हमेशा चिंतित रहता है 
एक ऐसा व्यक्ति जो हमेशा खुश रहता है 
एक ऐसा व्यक्ति जो हमेशा दूसरों की मदद करता  रहता है 
एक ऐसा व्यक्ति जो हमेशा सकारात्मक रहता है 

इसमें सभी अनुकूल कथनों को एक एक अंक देकर उसका योग कर लेते हैं । 
F - बाध्य चयन मापनी / Forced choice scale -
इसमें दो या दो से अधिक गुणों का एक सेट होता है जिसमें से किसी एक को चुनकर रेटिंग करनी होती है । 
इसमें रेटर को दिये गए विकल्पों में से ही किसी एक को चुनना पड़ता है जो उसके अनुसार सही हो । 
उदाहरण - 
श्याम सर -
A - बच्चों को पूरे विश्वास  के साथ पढ़ते हैं 
B छात्रों में भेद भाव नहीं करते हैं 
C सहायक सामाग्री का प्रयोग करते हैं 
D अनुशासन बनाए रखते हैं 
  • ध्यान दें - इसमें Halo Effect ( किसी व्यक्ति को अपने सम्बन्धों या रुचि के अनुसार अत्यधिक अच्छी या खराब रेटिंग देना )  नियंत्रण में रहता है । 
रेटिंग मापनी त्रुटियाँ /   Rating Scale Errors - 
A - Constant Error / नियत त्रुटि -   B - Variable Error / परिवर्त्य त्रुटि 
 A - Constant Error / नियत त्रुटि- जब रेटिंग को लगातार एक खास  दिशा में  किया जाता है तो ये error उत्पन्न हो जाती है । 
Constant Error चार प्रकार की होती है - 
I - Halo Effect / परिवेश प्रभाव - सर्वप्रथम वेल्स ने इसका वर्णन किया लेकिन इसे Halo Effect नाम दिया थोर्नडाइक महोदय ने । 
इस प्रभाव के अनुसार निरीक्षण कर्ता किसी व्यक्ति के किसी एक अनुकूल या प्रतिकूल शीलगुण  से इतना अधिक प्रभावित हो जाता है कि उस व्यक्ति के अन्य शील गुणों के संबंध में उसका निर्णय प्रभावित हो जाता है । अतः स्पष्ट है कि यदि व्यक्ति Halo Effect के प्रभाव में है तो वह हमेशा शीलगुणों पर धनात्मक या ऋणात्मक दिशा में निर्णय या रेटिंग करेगा चाहे उस व्यक्ति का वास्तविक शीलगुण कैसा भी क्यों न हो । 
इसमें निर्णय कर्ता के व्यक्तिगत संबंध व मनोदशा का प्रभाव सीधा पड़ता है । 
जैसे - शिक्षक का किसी छात्र के साथ  यदि व्यक्तिगत संबंध अच्छे नहीं हैं तो वह हमेशा उस छात्र की गलती बताएगा । 
II - Error of Severity / कठोरता की  त्रुटि -  जब कोई निर्णयकर्ता हमेशा शीलगुणों की रेटिंग निम्न  करता  (Low Rating) है तो इसे कठोरता की त्रुटि कहा जाता है । और ऐसे परीक्षक को Hard Rater कहा जाता है  
जैसे - किसी शिक्षक द्वारा सभी छात्रों को  परीक्षा में कम अंक देना । 
III - Error of Leniency / उदरता  की त्रुटि - यह कठोरता की त्रुटि से विपरीत है क्योंकि इसमें निर्णय कर्ता द्वारा सभी व्यक्तियों को हमेशा ऊंची रेटिंग दी जाती है । और ऐसे परीक्षक को Easy Rater कहा जाता है  
जैसे - परीक्षक द्वारा सभी छात्रों  को परीक्षा में अच्छे अंक प्रदान करना । 
IV - Error of Central Tendency / केन्द्रीय प्रवृत्ति की त्रुटि - इस त्रुटि में परीक्षक हमेशा रेटिंग को मध्य में रखता है अर्थात वह सभी को 50-55 % के बीच रखते हैं 

B - Variable Error / परिवर्त्य त्रुटि - परिवर्त्य त्रुटियों के प्रमुख प्रकार निम्न हैं -
I - Contrast Error / विरोध त्रुटि - इसमें परीक्षक किसी वस्तु या व्यक्ति की रेटिंग अपने व्यक्तित्व में मौजूद शीलगुणों की विपरीत दिशा में करता  है ।   
जैसे- यदि किसी व्यक्ति में समयनिष्ठता  का शील गुण अधिक होता है तो वह  अन्य सभी व्यक्तियों को अपने से कम समयनिष्ठ का रेटिंग देते हैं । 
II - Logical Error / तार्किक त्रुटि - इसमें परीक्षक दो या दो से अधिक शील गुणो पर व्यक्ति को एक समान रेटिंग देता है , जो उन्हे तार्किक रूप से समान लगते हैं । 
III - Proximity Error / निकटता की त्रुटि - ये भी logical error के समान होती  है लेकिन इसमें दो निकटतम शीलगुणों को एक जैसी रेटिंग दे दी जाती है । 
जैसे - सहयोगिता और मित्रता को एक समान समझ कर निर्णय लेना । 
  • ध्यान दें - Rating Scale और Rank Order Scale दोनों में काफी समानता है लेकिन इसमें Rating Scale को श्रेष्ठ माना गया है ।  
3- प्रश्नावली -अनुसूची Questionnaire and Schedule - 
प्रश्नावली में शोध समस्या के चरों को मापने के लिए उस चर से संबन्धित कई प्रश्न तैयार कर लिए जाते हैं , जिनका उत्तर प्रतिचयन (SAMPLE) में चयनित व्यक्ति देता है । 
प्रश्नावली के प्रकार - 
1- सीमित एकांश प्रश्नावली (Fixed / Closed ended Questionnaire) -
इसमें प्रश्नों के उत्तर के विकल्प दिये जाते हैं और व्यक्ति को दिये गए विकल्पों में से ही किसी एक का  चयन करना होता है । 
2- विस्तृत एकांश प्रश्नवाली (Open Ended Questionnaire)- इसमें दिये गए प्रश्नों का उत्तर व्यक्ति अपने शब्दों में विस्तार से देता है । 
3- आमने - सामने प्रश्नावली (Face to Face Questionnaire) इसका प्रयोग छोटे sample के लिए किया जाता है । 
इसमें शोध कर्ता sample में शामिल व्यक्ति के  आमने - सामने बैठकर प्रश्न पूछता है । 
4- डाक प्रश्नावली (Mail Questionnaire)  इसका प्रयोग बड़े Sample के लिए कियाजाता है । 
इसमें शोध कर्ता चरों से संबन्धित प्रश्नों की सूची व निर्देश तैयार करके एक लिफाफे या email द्वारा Sample में   चुने हुये  व्यक्ति को भेज देता है । 

प्रश्नावली निर्माण के पद - 
समस्या - चर - चरों के प्रकार - प्रश्नों की संख्या - प्रश्नों का क्रम - जनसंख्या 
Reliability + Validity = Scientific Questionnaire 

अनुसूची (Schedule)- 
  • अनुसूची प्रश्नो की एक सूची होती है । 
  • लेकिन इन प्रश्नों को उत्तर देने वाल नहीं पढता है बल्कि  शोध करने वाला इन्हे स्वयं पढ़कर सुनता है और प्रश्न पूछता  है  । 
  • शोधकर्ता दिये गए उत्तरों को नोट कर लेता है । 
  • अनुसूची के प्रयोग के लिए आमने सामने की परिस्थिति (Face to Face) होना अनिवार्य शर्त है । 
अनुसूची के प्रकार - 
I - प्रेक्षण अनुसूची (Observation Schedule) - 
  • इसमें शोधकर्ता तैयार किए गए प्रश्नों को व्यक्ति या  व्यक्तियों के समूह से स्वाभाविक परिस्थिति में  प्रश्न पूछता है और उनके व्यवहारों का निरीक्षण करता  है । 
II - रेटिंग अनुसूची (Rating Schedule) - इसमें शोधकर्ता व्यक्तियों के मतों  , मनोवृत्तियों , पसंद , नापसंद आदि से संबन्धित प्रश्नो के उत्तरों को Rating scale (अत्यधिक अच्छा , अच्छा , तटस्थ , बुरा अत्यधिक बुरा )  पर नोट  करता है। 

III - प्रलेखी अनुसूची (Documentary Schedule) - इसका प्रयोग लिखित स्रोतों ( डायरी , पत्र , आत्मकथा ,सरकारी कागज आदि ) से data collect करने के लिए किया जाता है  । 
  • इससे व्यक्ति के जीवन इतिहास को समझने में सहायता मिलती है । 
IV - संस्थागत सर्वे अनुसूची (Institutional survey Schedule)- 
इसमें शोध कर्ता महत्व पूर्ण संस्थानों के बारे में प्रश्नों का निर्माण करता है। तथा व्यक्तियों पर क्रियान्वयन करके इन संस्थानों के प्रति उनके मत को जानने का प्रयास करता है। 

V - साक्षात्कार अनुसूची (Interview schedule) - इसमें शोध कर्ता केवल स्तरीय / मानकी कृत  प्रश्नो को ही अपनी अनुसूची में शामिल करता है । 
  • इस्न प्रश्नों की संख्या व क्रम निश्चित होते हैं । 
  • इसे structured interview, standardized interview में भी प्रयोग करते हैं । 
विशेषताएँ - अनुसूची के आवश्यक है कि -
  • प्रश्नों कि भाषा सरल , सुगम व एक अर्थ वाली होनी चाहिए ।
  • प्रश्न वैज्ञानिक व वस्तुनिष्ठ होने चाहिए । 
  • अनुसूची तीन भागों में बंटी होनी चाहिए - A प्रारम्भिक भाग ,B - मुख्य भाग , C - निर्देश भाग । 
  • प्रश्न हमेशा मुख्य भाग में होने चाहिए । 
प्रश्नावली व अनुसूची में अंतर -
  • प्रश्नावली data collection की indirect विधि है , जबकि अनुसूची direct विधि है । 
  • प्रश्नावली में उत्तर लिखित में लिए जाते हैं जबकि अनुसूची में मौखिक उत्तर लिए जाते हैं । 
  • प्रश्नावली से इकट्ठा लिया गया  data अधिक विश्वसनीय नहीं होता है जबकि अनुसूची के द्वारा लिया गया data अधिक विश्वसनीय  होता है । 
4- साक्षात्कार (Interview) - 
साक्षात्कार में दो व्यक्ति आमने सामने बैठकर बातचीत करते हैं जिसमें एक व्यक्ति प्रश्न पूछता है और दूसरा व्यक्ति उत्तर देता है । 
  • साक्षात्कार में प्रश्नों के उत्तर शाब्दिक रूप से दिये जाते हैं । 
  • साक्षात्कार में साक्षात्कार लेने वाला  व्यक्ति सूचनाएँ एकत्र करता है 
साक्षात्कार के प्रकार - 
A- नैदानिक साक्षात्कार ( Clinical Interview )/ गहन साक्षात्कार ( Interview in depth)  -
  • इसका उद्देश्य व्यक्ति के असामान्य व्यवहार के पीछे का कारण का पता लगाना व उसका मनोवैज्ञानिक उपचार करना होता है । 
  • इसमें साक्षात्कार लेने वाला व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति भावनाओं , संघर्षों , घटनाओं आदि के बारे मे गहनता  से बातचीत  करता है ।
B- शोध साक्षात्कार  (Research Interview )- 
  • इसका उद्देश्य किसी समस्या से संबन्धित आंकड़े जुटाने में  किया जाता है । 
C- निदानात्मक साक्षात्कार (Diagnostic Interview) -
  • इसका उद्देश्य किसी मनोवैज्ञानिक रोग का पता लगाने के लिए किया जाता है । 
  • इसमें मनोवैज्ञानिक और रोगी आमने -सामने  बैठकर  किसी समस्या पर गहनता से बात करते है । 
D- चयन साक्षात्कार (Selection Interview)-
  • इसमें किसी पद के लिए चयन किए जाने व्यक्ति का साक्षात्कार लिया जाता है । 
  • इसमें उसकी क्षमता , मनोवृत्ति, व अनुभव का पता लगाना होता है । 
E- केन्द्रित साक्षात्कार (Focused Interview )- 
  • इसका उद्देश्य उन लोगों  से  जानकारी लेना होता है जिन्होने किसी घटना , चलचित्र , मैच आदि देखा हो और उनका विश्लेषण  किया हो । 
  • इस साक्षात्कार में एक Interview Guide भी होती है जिसमें दो बातें लिखीं होती हैं 1- पुछे जाने वाले प्रश्नों के क्षेत्रों का उल्लेख 2- उन सभी परिकल्पनाओं का उल्लेख जिनके लिए साक्षात्कार के आधार पर आंकड़े जुटाने हैं । 
  • ये पूर्ण रूप से Interview देने वाले व्यक्ति की अनुभूतियों, अनुभव , विचार पर केन्द्रित होता है । 
F- संरचित /औपचारिक /प्रतिकृति / ( Structured / Formal /Patterned Interview ) -   
 
  •  इसमें प्रश्नो को एक निश्चित क्रम मे लिखा जाता है और उसी क्रम में  पूछा भी जाता है  । 
  • साक्षात्कार देने वाले सभी व्यक्तियों से एक जैसे ही प्रश्न पूछे जाते है। 
  • प्रश्न पूछने का तरीका मानकी कृत होता है । 
  • इसके परिणामों की विश्वसनीयता  अधिक होती है। 
  • इसमें प्रश्नों का क्षेत्र , प्रश्न पूछने वाला , उत्तर देने वाला , प्रश्नों  का क्रम और प्राप्तांक लेखन ( scoring ), समय सीमा  सब पहले से ही निश्चित होता है । 
  • इसमें flexibility का अभाव होता है 
G- असंरचित /अनौपचारिक /अप्रतिकृति / ( Unstructured / Informal / Unpatroned Interview ) -   
  •  इसमें प्रश्नो को एक निश्चित क्रम मे नहीं लिखा जाता है और न ही उसी क्रम में  पूछा भी जाता है  । 
  • साक्षात्कार देने वाले सभी व्यक्तियों से एक जैसे नहीं प्रश्न पूछे जाते है। 
  • प्रश्न पूछने का तरीका मानकीकृत  नहीं होता है । 
  • इसके परिणामों की विश्वसनीयता कम होती है। 
  • इसमें प्रश्नों का क्षेत्र, प्रश्न पूछने वाला , उत्तर देने वाला , प्रश्नों  का क्रम और प्राप्तांक लेखन ( scoring ) , समय सीमा सब पहले से ही निश्चित नहीं होता है । 
  • इसमें flexibility होती है । 
  • इसमें स्वाभाविकता ( spontaneity ) का गुण पाया जाता है । 
5- व्यष्टि अध्ययन / Case Study - 
  • इसमें किसी सामाजिक इकाई ( एक व्यक्ति ,एक  परिवार , एक संस्था , एक समुदाय , एक घटना , एक नीति , एक संगठन , एक संस्कृति  आदि ) के जीवन की विकासात्मक घटनाओं का शोध व विश्लेषण  किया जाता है ।
  • इसमें एक सीमा ( boundary) निश्चित होती है । 
  • इसमें सामाजिक इकाई के एकात्मक रूप को टूटने नहीं दिया जाता है । 
  • इसमें जिस इकाई का अध्ययन किया जाता है उसका एतिहासिक घटना चक्रों  का अध्ययन किया जाता है और उनका रेकॉर्ड तैयार किया जाता है । 
  • इसमें चुनी हुई सामाजिक इकाई का क्या ? तथा क्यों ? दोनों पक्षों का अध्ययन , वर्णन व व्याख्या दोनों को किया  जाता है । 
  • इस विधि में दो इकाईयों को एक साथ लेकर तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है । 
  • इसमें आत्मनिष्ठता अधिक पायी जाती है । 
  • इसमें जोड़ -तोड़ नहीं किया जा सकता है 
ध्यान दें - Case Study एक Non-experimental research है जबकि Single subject Research / experiment एक Experimental Research होती है . 

प्रकार (types of case study )- 
A - अपसरित केस विश्लेषण (Deviant Case Analysis) - इसमें शोध कर्ता एक ही दो ऐसे cases को लेता है जिनमें  काफी समानता होते हुए भी भिन्नता होती है । 
जैसे - दो जुड़वां भाइयों में एक सामान्य तथा दूसरा मानसिक रोग का शिकार हो जाता है । 

B - पृथक नैदानिक केस विश्लेषण (Isolated clinical case analysis)-  इसमें शोध कर्ता किसी एक व्यक्ति की पूर्व की घटनाओं का विश्लेषण करके समाधान खोजता है । 
इस विधि में दो इकाईयों को एक साथ लेकर तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है । 
  
 केस अध्ययन व केस इतिहास में अंतर(Difference between Case Study and Case History ) -Case Study - इसमें शोध कर्ता द्वारा  वर्तमान व भविष्य का अध्ययन करके निष्कर्ष निकले जाते हैं । 

Case History - इसमें शोध कर्ता द्वारा इतिहास , भूतकाल ,घट चुकी घटनाओं व व्यवहारों  का   अध्ययन करके निष्कर्ष निकले जाते हैं और सरकारी व गैर सरकारी एजेंसियों से  इनके साक्ष्य एकत्र किए जाते हैं । 

 6- विषय विश्लेषण /Content Analysis / Document analysis  -
  • ये एक वैज्ञानिक प्रविधि ( Technique ) है ।  
  • ये चरों को मापने के लिए संचारों( Communications ) का क्रमबद्ध , वस्तुनिष्ठ , परिमाणात्मक  विश्लेषण है 
  • इसमें observation , Interview , Questionnaire , schedule जैसी कोई technique प्रयोग में नहीं लायी जाती है बल्कि इसमें शोध कर्ता संबन्धित व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए उससे संबन्धित दस्तावेजों (डॉक्युमेंट्स)का विश्लेषण करता  है और निष्कर्ष पर पाहुचता है । 
  • इस विश्लेषण की सामग्री ( डायरी , चित्र , drawing ,cartoon) आदि होती है ।
  • ये क्रमबद्ध , वस्तुनिष्ठ , व परिमणात्मक  (Quantitative ) प्रविधि है । 
  • विषय वस्तु विश्लेषण में आंकड़ों के प्राथमिक स्रोत (चिट्ठी ,आत्मकथा , डायरी , किताब, जर्नल , पाठ्यक्रम , कोर्ट निर्णय , तस्वीर , फिल्म , कार्टून आदि प्रमुख हैं । 
  • इसके प्रमुख उद्देश्य -वर्तमान हालातों एवं प्रचलनों का पता लगाना तथा उनकी व्याख्या करना । छात्रों के कार्यों में विभिन्न तरह की त्रुटियों  का पता लगाना  व विश्लेषण करना । 
  • पाठ्य पुस्तकों के कठिनाई स्तर का पता लगाना । 
  • इसका प्रयोग आश्रित चर पर स्वतंत्र चर के कारण पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाता है । 
विश्लेषण की इकाई - I - शब्द , II- विषय ,III - एकांश ।    

7- समाजमितिक विधि Sociometrical method / Nominating Technique -
प्रतिपादन - मोरेनो 
पुस्तक -"Who Shall Survive? "

" Sociometry is the study of interrelationship among members of a group, that is, its social Structure :how each individual is perceived by the group . "- Stanley & Hopkins 
  • इसमें  समूह का प्रत्येक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति का चयन / मनोनीत  किसी खास श्रेणी के लिए करता है । 
  •  ये समाज या समूह के सदस्यों का एक दूसरे के प्रति Acceptance या Rejection के द्वारा समूह की संरचना , सामाजिक पद , व व्यक्तिशील गुणों का अध्ययन किया जाता है । 
  • इसके द्वारा समूह का संरचनात्मक विश्लेषण संभव है । 
  • इसके द्वारा समूह के परस्परिक सम्बन्धों का जो रेखा चित्र (Diagram ) बनता है उसे समाजमितिक चित्र (Sociogram) कहा जाता है । 
समाजमितिक विश्लेषण की विधियाँ / Methods of analyzing Sociometrical Data -
A- समाज मितिक मैट्रिक्स ( Sociometrical Matrix )- 
  • इसमें समूह की पसंद की  वस्तुओं या संख्याओं का वर्गाकार  प्रदर्शन ( Square Array ) होता है । 
  • इसका सूत्र = n X n = होता है । ( n = numbers of members in a group ) 
  • Column और Row मे सदस्य संख्या बराबर होती है । 
B-  समाज आलेख (Sociogram )- 
  • इस विधि मे समूह के सदस्यों के द्वारा एक -दूसरे के प्रति पसंद या नापसंद को एक ग्राफ केआर द्वारा सादा कागज पर चित्र बनाकर दिखाते हैं । 
  • ये छोटे समूह जिसकी संख्या 20 से कम होती है उसके लिए उपयोगी होता है । 
  • ये sociometric matrix की तुलना में सरल होता है । 
C- समाजमितिक सूचकांक (Sociometric Index )-
  • इसमें समूह के कुछ Index ज्ञात करके समूह के सदस्यों के अंतर- वैयक्तिक सम्बन्धों का अंदाज मिलता है ।
नेतृत्व के अध्ययन का तरीका समाजमितिक सबसे सरल व वैज्ञानिक होता है । 

 8-प्रक्षेपीय विधि / Projective method -
इस विधि में व्यक्ति किसी असंरचित परिस्थिति के प्रति अनुक्रिया करके अचेतन रूप से अपनी इच्छाओं , भावों , एवं द्वंदों  को अभिव्यक्त करता है । 
प्रक्षेपीय विधियों के प्रकार-
A - व्याख्यात्मक ( Interpretative ) - TAT ( Thematic Apperception Test ),  Word Association Test 

B - अपवर्तक ( Refractive ) - पेंटिंग , लिपि विज्ञान 

C - विरेचक ( Cathartic ) - खेल द्वारा अपनी इच्छाओं , संघर्षों  को अभिव्यक्त करना । 

D - सहचर्य तकनीकी ( Association Techniques ) - कोई चित्र या दृश्य देखने के बाद अपने विचार प्रकट करना। जैसे-  Rorschach - Ink Blot Test  

E - रचना प्रविधि ( Construction Techniques ) - चित्र देखकर कहानी लिखना । 
 जैसे- 
Thematic apperception Test - TAT 
Child Apperception Test - CAT 
Pickford Projective Picture - PPP 

F - संपूरण प्रविधि ( Completion Technique ) - अधूरे वाक्य या कहानी को पूरा करना । 

G- चयन प्रविधि ( Choice Technique ) - दी गयी कई वस्तुओं या चित्रों में से अपनी पसंद की कोई वस्तुओं या चित्रों को उठाना । 

इन सभी विधियों का प्रयोग नैदानिक शोधों में अधिक किया जाता है । 

 9-अर्थगत / शब्दार्थ विभेदक मापनी / Semantic Differential Scale (SD Scale) -



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पर्यावरण अध्ययन । paryavaran adhyyan । environmental study

पर्यावरण अध्ययन । paryavaran adhyyan  उत्पत्ति - पर्यावरण को अँग्रेजी में Environment कहते हैं , जिसकी उत्पत्ति फ्रेंच भाषा के Environer शब्द से हुई है।  जिसका अर्थ होता है समस्त बाह्य दशाएँ तथा हिन्दी में इसका अर्थ होता है परि + आवरण = जिससे चारों ओर(सम्पूर्ण जगत) घिरा हुआ है। पर्यावरण में जल,वायु,मृदा,पेड़,पौधे,जीव,जन्तुसब आ जाते हैं। पर्यावरण = Ecology(पारिस्थितिकी) +Ecosystem/पारिस्थितिकी तंत्र पारिस्थितिकीतंत्र=जीवमंडल,जैविकघटक-(उत्पादक,उपभोक्ता,अपघटक),अजैविकघटक-(कार्बनिक,अकार्बनिक,भौतिक)    विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तरों को संक्षिप्त,सारगर्भित व आसान भाषा में बिन्दु बार प्रस्तुत किया जा रहा है-  पर्यावरण की प्रमुख शाखाएँ - Ecology , Ecosystem और Biosphere   Ecology(पारिस्थितिकी)  के जनक - Ernst Haeckel -1866 Deep Ecology शब्द दिया - Arne Naess ने  Ecosystem(पारिस्थितिकी तंत्र) के जनक - Arthur Tansley - 1935  Ecology में अध्ययन किया जाता है- जीवों पर वातावरण का प्रभाव तथा उनके परस्पर संबंध का...

vedic period । वैदिक काल । बी एड E 102 । वैदिक काल एवं साहित्य BEd first year

वैदिक काल एवं साहित्य   2500 BC से 500 BC तक   वैदिक काल को दो भागों में बाँटा गया है - क - पूर्व वैदिक काल/ ऋगवैदिक काल  ( 2500 BC से 1000 BC तक ) ख - उत्तर वैदिक काल ( 1000 BC से 500 BC तक )  क -पूर्व वैदिक काल/ ऋगवैदिक काल  (2500 BC से 1000 BC तक )- इस काल में ऋग्वेद की रचना की गयी ।  ऋग्वेद के रचनाकार -विश्वामित्र,वामदेव,अत्री,भारद्वाज,वशिष्ठ ,भृगु ,अंगऋषि आदि हैं ।  ऋग्वेद मानव जाति  एवं विश्व की प्रथम पुस्तक मानी जाती है ।  ऋग्वेद में 10 मण्डल , 1028 श्लोक , 10600 मंत्र हैं ।  ऋग्वेद में पहला और 10वां मण्डल बाद में जोड़ा गया ।  ऋग्वेद के 10 वें मण्डल में पुरुष सूक्त है जिसमें चार वर्णों (ब्राह्मण,क्षत्रिय ,वैश्य ,शूद्र ) का उल्लेख है । ऋग्वेद के मुंडकोपनिषद में गायत्री मंत्र की रचना की गयी है ।  गायत्री मंत्र की रचना विश्वामित्र ने की थी ।  गायत्री मंत्र का उपवेद आयुर्वेद है। ऋग्वेद के परिवर्ती साहित्य -  1-- ब्राह्मण ग्रंथ  - प्रत्येक वेद की गद्य रचना को ब्राह्मण कहते हैं ।  ब्राह्मण ग्रंथ का विषय कर्...