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संवेग (Emotion) अर्थ परिभाषा विशेषताएँ व प्रभाव / BEd first year

संवेग (Emotion) अर्थ परिभाषा विशेषताएँ व प्रभाव

संवेग का अर्थ -अँग्रेजी भाषा में संवेग को Emotion कहा जाता है जिसका अर्थ होता है संवेग या भाव । 

Emotion शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द Emovere से हुई जिसका अर्थ होता है उत्तेजित करना

प्रत्येक संवेग में एक अनुभूति पायी जाती है साथ ही संवेग में उस समय एक गत्यात्मक तत्परता भी होती है।

परिभाषाएँ -

"संवेग मनुष्य में तीव्रता उत्पन्न करने वाला एक ऐसा मनोवैज्ञानिक उद्गम है जिसमें व्यवहार,चेतन,अनुभव और अंतरावय की क्रियाएँ शामिल रहती हैं।" - पी टी यंग 

"संवेग क्रियाओं का उत्तेजक है" - गेल्ड़ार्ड

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि संवेग एक मानसिक प्रक्रिया है जो देखने,सुनने और स्मृति द्वारा उत्पन्न होती है । इसके एक बार उत्पन्न होने पर शरीर में बाह्य और आंतरिक दोनों प्रकार के परिवर्तन होने लगते हैं। 

संवेग के विशेषताएँ- 

संवेग की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं - 

  • संवेग एक मानसिक प्रक्रिया है। 
  • संवेग एक प्रकार की अनुभूति है। 
  • संवेग की उत्पत्ति अचानक होती है।
  • संवेग की उत्पत्ति मनोवैज्ञानिक कारणों के कारण होती है।
  • संवेग के कारण शरीर में आंतरिक और बहय दोनों प्रकार के परिवर्तन होते हैं। 
  • इसकी उत्पत्ति का एक कारण आंतरिक और बाह्य उद्दीपन भी है।
  • संवेग की अवस्था सभी मनुष्यों में पायी जाती है।
  • संवेग व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करते हैं । 
  • संवेग की अवस्था में व्यक्ति का व्यवहार दो दिशाओं में होता है।
संवेग का शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव या शरीर में होने वाले परिवर्तन-

संवेग का सीधा प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है जिसके कारण हमारे शरीर में आंतरिक व बाह्य रूप से परिवर्तन होते हैं, जिनका वर्णन इस प्रकार है।

A- बाह्य शारीरिक परिवर्तन- इन परिवर्तनों को आसानी से कोई भी देख सकता है, प्रमुख बाह्य शारीरिक परिवर्तन इस प्रकार हैं -

1-चेहरे पर दिखने वाले परिवर्तन- संवेग की दशा में व्यक्ति का मुख सबसे ज्यादा प्रभावित होता है।

जैसे- खुशी,उदासी,आश्चर्य,डर,क्रोध,एवं घृणा की स्थिति में हमारे चेहरे के हाव भाव बदल जाते हैं।

ध्यान दें - संवेग की स्थिति में हमारे चेहरे के दायें भाग की अपेक्षा बाएँ भाग में परिवर्तन अधिक दिखाई देते हैं और ऐसा इसलिए होता है क्योकि हमारे दायें भाग का नियंत्रण मस्तिष्क के बाएँ गोलार्ध द्वारा तथा बाएँ भाग का नियंत्रण मस्तिष्क के दायें गोलार्ध द्वारा किया जाता है। हमारे मस्तिष्क का दायाँ भाग संवेग का केंद्र होता है। 

2- शारीरिक मुद्राओं में परिवर्तन- संवेग की स्थिति में हमारी शारीरिक मुद्रा में भी परिवर्तन दिखाई देता है। जैसे दुख की अवस्था में शरीर ढीला व झुका हुआ खुशी व सुख की अवस्था में शरीर सीधा व तना हुआ दिखाई देता हैऔर क्रोध की अवस्था में अकड़ा हुआ होता है।संवेग की अवस्था में हमारे सिर,पैर,हाथ की विशेष अवस्था दिखाई देती है।   

3-स्वर में परिवर्तन- संवेगात्मक अवस्था में व्यक्ति के स्वर में परिवर्तन दिखाई देता है। जैसे - आवाज ऊंची होना, चीखना,चिल्लाना, तेज-तेज रोना आदि। 

B- आंतरिक शारीरिक परिवर्तन- संवेग की अवस्था में जिस प्रकार हमारे शरीर में बाहरी रूप से परिवर्तन दिखाई देते हैं उसी प्रकार हमारे शरीर के अंदर भी परिवर्तन होते हैं जैसे -

1-रक्तचाप में परिवर्तन- संवेग की स्थिति में हमारा रक्तचाप या तो बढ़ता है या घटता है। 

2- रक्त में रासायनिक परिवर्तन-संवेग की स्थिति में हमारी एड्रीनल ग्रंथि से एड्रीनिन नामक एंजाइम का स्राव अधिक होने लगता है,जिससे व्यक्ति अधिक फुर्तीला,व सक्रिय अनुभव करता है। तथा रक्त में सिंपैथीन नामक रासायनिक तत्वों की मात्रा बढ्ने के कारण संवेगिक उद्दीपक हटने के बाद भी कुछ समय तक व्यक्ति में उत्तेजक अवस्था बनी रहती है।

3- साँस की गति में परिवर्तन- संवेग की स्थिति में व्यक्ति की साँस की गति या तो बढ़ जाती है या कम हो जाती है। 

साँस की गति में होने वाले परिवर्तन को न्यूमोग्राफ गैसोमीटर तथा बाड़ी प्लेथिस्मोग्राफ द्वारा मापा जाता है।

4-हृदय की गति में परिवर्तन- संवेगात्मक अवस्था में हृदय की गति या तो बढ़ जाती है या घट जाती है।

5- नाड़ी की गति में परिवर्तन -संवेगात्मक अवस्था में नाड़ी की गति भी हृदय की तरह या तो बढ़ जाती है या घट जाती है।

6- पाचन क्रिया में परिवर्तन- संवेग की अवस्था में पाचन क्रिया बहुत धीमी हो जाती है तथा इस अवस्था के कारण कभी कभी व्यक्ति का मल पतला भी  हो जाता है।

7- ग्रंथि स्राव में परिवर्तन- संवेग की अवस्था में  व्यक्ति की अन्तः स्रावी  ग्रंथियों के स्राव की मात्रा में भी परिवर्तन हो जाता है।

8- गैल्वेनिक त्वक अनुक्रिया परिवर्तन- संवेग में सक्रियकरण का पता लगाने के लिए GSR( Galvanic Skin Response) सर्वश्रेष्ठ मापक है। लेकिन संवेग की अवस्था में GSR में भी परिवर्तन हो जाता है,जिससे पसीना ग्रंथियों पर प्रभाव पड़ता है।

9- मस्तिष्क तरंगों में परिवर्तन- हमारे मस्तिष्क में सामान्य अवस्था में Alfa Waves बनती हैं जिनकी ऊंचाई अधिक तथा बारंबारता 8-12 प्रति सेकेंड होती है, जबकि संवेग की अवस्था में Beta Waves बनती हैं जिनकी ऊंचाई कम तथा बारंबारता 18-30 प्रति सेकेंड होती है।

संवेग (Emotion) अर्थ परिभाषा विशेषताएँ व प्रभाव- 

निष्कर्ष - उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि संवेग कि स्थिति में हमारी आंतरिक व बाह्य क्रियाओं में परिवर्तन है जो हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है।

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