Hypothesis meaning and types in hindi -प्राक्कल्पना -उपकल्पना- परिकल्पना
परिकल्पना की विशेषताएँ(Characteristics of a Hypothesis) -
- प्राक्कल्पना एक जांचनीय कथन होती है ।
- प्राक्कल्पना एक घोषणात्मक वाक्य / कथन होती है ।
- प्राक्कल्पना किसी समस्या के संभावित हल का संकेत होती है ।
- किसी शोध समस्या का ऐसा प्रस्तावित उत्तर जो जांचनीय परिकल्पना होती है ।
- शोध परिकल्पना के द्वारा चरों के बीच एक सामान्य या विशिष्ट सम्बन्धों की अभिव्यक्ति की जाती है ।
- प्राक्कल्पना मितव्ययी होनी चाहिए ।
- प्राक्कल्पना में तार्किकता और व्यापकता होनी चाहिए ।
- परिकल्पना संबन्धित क्षेत्र के मौजूदा सिद्धान्त एवं तथ्यों से संबन्धित होनी चाहिए ।
- परिकल्पना का स्वरूप सामान्य होना चाहिए जिसका सामान्यीकारण किया जा सके।
- परिकल्पना स्पष्ट एवं वैज्ञानिक होनी चाहिए ।
"शोध समस्या का चयन करने के बाद शोधकर्ता एक अस्थयी समाधान , जांचनीय प्रस्ताव के रूप में परिकल्पना का प्रतिपादन करता है । "
परिभाषा -
"दो या दो से अधिक चरों के बीच सम्बन्धों के अनुमानिक कथन को परिकल्पना कहते हैं।" - कार्लिंगर
परिकल्पना के स्रोत -
1- सैद्धांतिक स्रोत / Theoritical Frame work - शोधपुस्तकें,पत्रकाएं,जर्नल,विशेषज्ञ
वार्तालाप ।
2- शैक्षिक साहित्य / Academic Literture
3- जीवन अनुभव / Real Life experience
4- पूर्व शोध / Previous Research
परिकल्पना के प्रकार -
परिकल्पना को मुख्य रूप से तीन आधारों के साथ वर्गीकृत किया जाता है -
A- चरों की संख्या के आधार पर(On The Basis of Variables numbers) -
1-साधारण परिकल्पना ( Simple Hypothesis ) - जब चरों की संख्या 2 होती है और उनके बीच के संबंध का उत्तर दिया जाता है ।
2- जटिल परिकल्पना(Complex Hypothesis) -जब चरों की संख्या 2 से अधिक होती हैं ।
B - चरों में विशेष संबंध के आधार पर(On The Basis Of Special Relation between Variables) -
1- Universal Hypothesis -इसमें शामिल चरों के सभी तरह के मानो (Value) के बीच के संबंध को हर परिस्थिति में , हर समय बनाए रखा जाता है ।
जैसे -मानव के सीखने की प्रक्रिया प्रशंसा व पुरस्कार द्वारा तेजी से होती है ।
2- Existential Hypothesis - ये परिकल्पना सभी के लिए नही लेकिन कम से कम 1 व्यक्ति या परिस्थिति के लिए निश्चित रूप से सही होती है ।
इसका सामान्यीकरण अन्य व्यक्तियों के लिए नहीं किया जा सकता ।
C - विशिष्ट उद्देश्य के आधार पर (On The Basis Of Specific Objectives) -
1- कारणत्व परिकल्पना(Cause and Effect Hypothesis) - इसमे व्यवहार के कारण या व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभाव की ब्याख्या होती है ।
जैसे - थकान के कारण अधिगम पर पड़ने वाला प्रभाव ।
2-वर्णनात्मक परिकल्पना (Descriptive Hypothesis) -
- इसमें व्यवहार के बारे में पूर्व कथन एवं उसका वर्णन किया जाता है ।
- इसमें व्यवहार के कारण पर बल नहीं डाला जाता है ।
- ये परिकल्पना शोधकर्ता को व्यवहार के गुणों की पहचान करने तथा पूर्ववकथन में मदद करती है ।
जैसे - इसमें थकान से होने वाले व्यवहार का वर्णन मात्र किया जाता है , उसके कारण का नही ।
3-शोध परिकल्पना/कार्यरूप परिकल्पना(Research Hypothesis/Working Hypothesis)-
ये किसी घटना या तथ्य के लिए बनाए गए विशिष्ट सिद्धान्त से निकाली गयी अनुमति (deductions) पर आधारित होती है।
- शोधकर्ता इसे बिलकुल सही मानकर प्रतिपादित करता है क्योंकि यह सिद्धान्त पर आधारित होती है।
- शोधकर्ता की इच्छा यही रहती है कि उसकी शोध परिकल्पना स्न्म्पुष्ट (Confirm) हो जाए ।
जैसे - व्यक्ति सूझ द्वारा प्रयत्न व भूल से जल्दी सीखता है ।
नोट - शोध परिकल्पना के संक्रियात्मक अभिव्यक्ति (operational Statement) को ही वैकल्पिक परिकल्पना कहा जाता है ।
शोध परिकल्पना की संक्रियात्मक अभिव्यक्ति दो प्रकार से होती है -
i दिशात्मक अभिव्यक्ति (Directional Expression / One Tailed Hypothesis) -
इसमें दो चरों के बीच के अंतर को एक निश्चित दिशा में बताया जाता है ।
जैसे - राम , श्याम से अधिक बुद्धिमान है या श्याम , राम से अधिक बुद्धिमान है।
ii - आदिशात्मक अभिव्यक्ति (Non Directional Expression / Two Tailed Hypothesis)-
इसमें दो चरों के बीच के अंतर को किसी दिशा में नहीं बताया जाता है।
इसमें दोनों चर समान हैं / दोनों चरों में कोई अंतर नहीं है जैसे वाक्यों का प्रयोग किया जाता है ।
जैसे - राम तथा श्याम दोनों की बुद्धि समान है या राम तथा श्याम की बुद्धि में कोई अंतर नहीं है ।
4-नल परिकल्पना/शून्य परिकल्पना (Hypothesis of No Effect/Null Hypothesis/H0) -
ये परिकल्पना चरों के बीच में कोई संबंध / प्रभाव / अंतर नहीं है का उल्लेख करती है ।
ये शोध परिकल्पना के ठीक विपरीत होती है ।
शोध कर्ता की इच्छा Null Hypothesis को अमान्य (Reject ) करने की होती है ।
Null Hypothesis एक काल्पनिक माडल होती है ।
शोध का प्रारम्भ Null Hypothesis को reject करने से ही शुरू होता है।
टाइप 1 त्रुटि ( Alfa Error )- जब नल परिकल्पना को सत्य होने के बाद भी अस्वीकार कर दिया जाए ।
टाइप 2 त्रुटि ( Beta Error)-जब नल परिकल्पना को असत्य होने के बाद भी स्वीकार कर लिया जाए ।
5-सांख्यकीय परिकल्पना(Statical Hypothesis)
इसमें सांख्यकीय जीवसंख्या(Population)के बारे में विशेष संबंध बताया जाता है।सांख्यकीय जीवसंख्या वह संख्या है जो व्यक्तियों अथवा वस्तुओं की होती है तथा इसमें व्यक्तियों/वस्तुओं के प्रेक्षणों observations को संख्यात्मक मात्राओं में बदल दिया जाता है। इसमें शोध परिकल्पना एवं शून्य परिकल्पना दोनों के प्रेक्षणों को संख्याकीय पदों में बदल दिया जाता है ।
नोट - प्रेक्ष्ण मान को संख्याकीय पदों में बदलने के बाद शोध परिकल्पना व शून्य परिकल्पना को विशेष संकेतों द्वारा व्यक्त किया जाता है -
शोध परिकल्पना को H 1
शून्य परिकल्पना को H 0
परिकल्पना के कार्य -
- सिद्धांतों की जाँच करना ।
- सिद्धांतों का निर्माण / प्रतिपादन करना ।
- घटना का वर्णन करना ।
- समस्या समाधान ढूँढना ।
- शिक्षण विधियों में सुधार करना ।
- सामाजिक नीति बनाना ।
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