Thematic Apperception Test प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण (TAT)
निर्माण - C D Morgan And H A Murray- 1935
उद्देश्य - व्यक्तित्व के गुणों की पहचान करना।
प्रकार - प्रक्षेपी विधि
परीक्षार्थी आयु वर्ग Age group- वयस्क Adult (14वर्ष से अधिक)
अभिव्यक्ति का माध्यम- कहानी (बनाना या लिखना)
परीक्षण की आधारभूत मान्यता- (Basic concept of the test)
जब परीक्षार्थी के सामने कोई अस्पष्ट सामाजिक परिस्थिति प्रस्तुत की जाती है और उस परिस्थिति से सम्बंधित कोई कल्पनात्मक कहानी बनाने के लिए कहा जाता है तो परीक्षार्थी कहानी के पात्रों के माध्यम से अपनी भावनाएं , विचार व मानसिक स्थिति को अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्त कर देता है।
परीक्षण सामग्री
कुल कार्ड 31
अस्पष्ट व काले सफेद 30
सादा कार्ड 01
प्रयोग किये जाने वाले कार्डों की संख्या 21 या कम
प्रयोग करने का आधार यौन भेद व परिपक्वता
कार्ड वितरण - (लड़कों, पुरुषों एवं लड़कियों व महिलाओं के मध्य)
सभी के लिए कार्ड 11
लडकों व पुरुषों के लिए 07
लड़कियों व महिलाओं के लिए 07
लड़के व लड़कियों के लिए 01
केवल पुरुष के लिए 01
केवल महिलाओं के लिए 01
पुरुषों व महिलाओं के लिए 01
केवल लड़के के लिए 01
केवल पुरूष के लिए 01
सादा कार्ड 01 जो अंत में दिया जाता है
कुल समय 02 घण्टे
प्रत्येक कार्ड के लिए अलग अलग कहानी बनानी या लिखनी होती है
एक कहानी के लिये समय 05 मिनट।
परीक्षण के सत्रों की संख्या 02
कहानी का विश्लेषण - कहानियों को निम्नांकित 6 सोपानों के अन्तर्गत विश्लेषित करते हैं-
1 कहानी का नायक कौन है?
2 नायक की आवश्यकताएं, प्रवृत्तियाँ, भावनाएं क्या हैं?
3 वातावरण में कौन कौन से दबाव दिखाये हैं?
4 नायक तथा वातावरण की अन्तःक्रिया (थीमा )के फलस्वरूप क्या परिणाम हैं।
5 कहानी का क्या प्रसंग है?
6 कथानक के चयन तथा विवेचन में परीक्षार्थी की रुचियाँ तथा भवनाएं क्या हैं?
रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण एवं प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण में मुख्य अंतर
रोर्शा परीक्षण में व्यक्तितव की संरचना तथा संगठन की जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण में व्यक्तित्व के गुणों को ज्ञात करने की कोशिश की जाती है।
Thank you very much sir
ReplyDeleteThanqu so much sir
ReplyDeleteCuntent very easy and shorted,
Plz tell me about the full course
Thanqu so much sir
ReplyDeletePlz tell me about the full course
Thanqu so much sir
ReplyDelete