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Exceptional children - Special Children -Mentally Retarded Children - बिशिष्ट बालक -मंद बुद्धि बालक

Exceptional children - Special Children -Mentally Retarded Children 

 बिशिष्ट बालक -मंद बुद्धि बालक-

अर्थ- सामान्य बालक ( जिनकी शारीरिक , मानसिक, संवेगात्मक एवं सामाजिक क्षमताएँ लगभग समान स्तर की होती हैं ) से भिन्न बालक जिनकी क्षमताएं सामान्य बालकों से अधिक या कम होती हैं तथा उनके लिए विशेष प्रकार की शिक्षा व्यवस्था करनी पड़ती है ,उन्हे विशिष्ट बालक / अपवादात्मक या  असाधारण  बालक कहते  हैं  । 

परिभाषा -

"विशिष्ट बालक वह है जो बौद्धिक ,शारीरिक ,संवेगात्मक ,अथवा सामाजिक  दृष्टि से सामान्य समझी जाने वाली वृद्धि व विकास से इतना भिन्न है कि वह नियमित विद्यालय कार्यक्रम से पूर्ण लाभ नहीं उठा सकता है तथा विशिष्ट कक्षा अथवा पूरक शिक्षण सेवाएँ चाहता है " - क्रुक शेङ्क ( Cruickshank) 

विशिष्ट बालकों के मुख्य प्रकार ( Types of Exceptional Children ) -

 1- मंद बुद्धि बालक ( Mentally Retarded Children )

2-पिछड़े बालक ( Backward Children)

3- अपराधी बालक ( Delinquent Children)

4- मंद अधिगम बालक ( Slow Learner Children )

5-प्रतिभाशाली बालक ( Gifted Children )

 मंद बुद्धि बालक (Mentally Retarded Children )- IQ = 85 या 80 से कम 

वे बालक जिनकी मानसिक योग्यता सामान्य बालकों से कम होती है । 

IQ = 

85-70   = Educable Mentally Retarded / Moron / Mild Mental Subnormal .

70 - 50  = Imbecile / Trainable / Moderate Mental Subnormal .

50 - 25  = Idiot , Custodial , Severe Mental Subnormal . 

25 - 0   = Profound Mental Subnormal . 

विशेषताएँ ( Characteristics )-

  • इनकी बुद्धि लब्धि 85 से कम होती है । 
  • इनकी सीखने की  गति मंद होती है । 
  • इन्हें समायोजन मे कठिनाई होती है । 
  • इनमें आत्मविश्वास की कमी । 
  • इन्हें केवल अपनी आवश्यकताओं की चिंता, अन्य किसी की नही । 
मंद बुद्धि बालकों की शिक्षा ( Education of Mentally Retarded Children)-

  • इन्हे स्वयं की देखभाल दैनिक कार्यों को स्वयं करने का प्रशिक्षण दिया जाए । 
  • इनको सामाजिक संबंध , क्रिया कलाप , शिष्टाचार एवं सामाजिक व्यवहार  प्रशिक्षण दिया जाए । 
  • इनको जीवन यापन के लिए आत्मनिर्भर बनाने का प्रशिक्षण । 
  • इनके लिए विशिष्ट कक्षाओं की व्यवस्था की जाए । 
  • इनके लिए विशिष्ट अध्यापकों की व्यवस्था की जाए । 
  • इनके लिए विशिष्ट विद्यालय स्थापित किए जाएँ । 
  •  प्रभावी शिक्षण के लिए विशिष्ट शिक्षण विधियाँ अपनाए जाएँ । 
  • इनके प्रशिक्षण  पर  अधिक ज़ोर दिया जाए । 


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